नन्द के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, जन्मोत्सव पर झूमे श्रद्वालु
जब जब पृथ्वी पर अत्याचार, दुराचार व पाप बढता है, तब प्रभु लेते हैं अवतार : सौरभ कृष्ण शास्त्री
ललितपुर। श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चैथे दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। जन्मोत्सव की झांकी निकलते ही श्रद्धालु पुष्प की वर्षा करने लगे। जन्मोत्सव में संगीतकार के सोहर भजन पर श्रोता खूब झूमे। भगवान श्रीकृष्ण के जयकारों तथा नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो उठा।
कथावाचक पं सौरभकृष्ण शास्त्री महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं का वर्णन करते हुये कहा कि जब जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पाप बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। मथुरा में राजा कंश के अत्याचार से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रूप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। उन्हौनें आगे कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा का सुनना तभी सार्थक होगा, जब उसके बताए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करेंगे। उन्होंने बताया कि एक बार कंस अपने साथ वासुदेव और देवकी को लेकर जा रहा था। तभी आकाशवाणी होती है, रे कंस देवकी का आठवां पुत्र तेरा काल बनकर नाश करेगा। इतना सुनते ही कंस ने वासुदेव-देवकी को कारावास में बेडियों से बांधकर डाल दिया। सैनिकों का पहरा लगाते हुए कहा कि जब देवकी को कोई संतान हो तो मुझे सूचना करना। इसके बाद जब भी देवकी को संतान होती कंस उनको मार देता। जब देवकी आठवां गभर्धारण करती हैं तभी कंस ने सैनिकों को सावधान कर दिया। भादप्रद कृष्ण पक्ष की अष्ठमी को मध्य रात्रि में भगवान नारायण बालक रूप में प्रकट होते हैं। वे कहते हैं कि मुझे गोकुल नंद बाबा के घर छोड़ आओ और वहां से योगमाया को साथ ले आओ। तभी अचानक बेडियां खुल जाती हैं। वासुदेव ने कृष्ण को टोकरी में सावधानीपूर्वक रखा यमुना नदी पार करते हुए नंद बाबा के यहां लेकर पहुंचते हैं, वहां से योगमाया लेकर आ जाते हैं। इधर, नींद में हो रहे पहरेदारों की नींद टूटती है और वे कंस को सूचना देते हैं। कंस जैसे ही योगमाया को मारना चाहता वह आकाश में जाकर कंस को सचेत करती है। उधर, गोकुल में कृष्ण जन्म की खुशियां मनाई जाती है। इसके बाद उन्हौनें श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया। जिसे सुनकर श्रद्वालुजन अचंभित रहे। तो वहीं वामन अवतार की कथा का विस्तार से वर्णन किया गया, जहां श्री हरि के रूप में वामन अवतार ने राजा बलि से तीन पग जमीन मांगी, तो उन्होंने दो पग में पूरा संसार नाप लिया, अब कुछ न बचते हुए राजा बलि ने अपना सिर वामन भगवान के आगे कर दिया, तब भगवान ने उनका उनके सिर पर पग रखकर उनका उद्धार कर दिया, इस तरह राजा बलि का जीवन धन्य हुआ।इस मौके पर इस दौरान कथा परिक्षित लखन लाल रावत, श्रीमति कमला रावत, महावीर प्रसाद दीक्षित, रामाधार दुबे, मनमोहन चैबे, भरत रावत, श्रीमति उषा, आरती, अन्नपूर्णा, किरन, अनीता रावत, विमला, शांति, गीता देवी, शकुन्तला, प्रेमकुमारी, गंगादेवी, धर्म कुमार, सुनील पटैरिया, बलराम पचोरी, सूर्यप्रकाश रिछारिया, प्रसन्न दुबे, नीलेश पटेल, दीपक त्रिपाठी, रत्नेश दीक्षित, राममूर्ति तिवारी, सानू पाठक, राधे गोस्वामी, मनोज पस्तोर, शिवांशु मिश्रा, वृजभूषण कटारे, संतोष शर्मा, मनोज रिछारिया, कुलदीप गोस्वामी, प्रमोद सैनी, मनोज योगी, विनोद पाठक, कुलदीप यादव, हेमन्त तिवारी, अनंत तिवारी, राकेश नामदेव, संजय पटैरिया, अंश दीक्षित, रानू नामदेव, बब्बू नामदेव, पवन राजपूत, अक्षय बोहरे, छोटू मिश्रा सहित अनेकों श्रद्वालु मौजद रहे।
भगवान कृष्ण को पालने में झुलाने की लगी रही होड
भगवान श्रीकृष्ण को जन्म के बाद गाजे-बाजे और आतिशबाजी करते हुए पालने में वासुदेव कथा स्थल तक लाया गया। इस दौरान भक्तों ने पालना झुलाया और नृत्य किया। भक्तगण घर से गुड़ के लडडू लाए। अनेक भक्त पोशाकें और खिलौना लेकर भी पहुंचे। कथा स्थल श्री कृष्ण के जयघोषों से गुंजायमान हो गया। वासुदेव जी अपने पुत्र श्री कृष्ण को टोकरी में लेकर समुद्र पार कर रहे थे, इसके देख भक्त भाव-विभोर हो गये, साथ ही जन्मोत्सव पर जमकर नृत्य हुआ।