चलते चलते मेरे ये गीत याद रखना कभी अलविदा ना कहना
भारत में बप्पी दा पॉप, रॉक और जैज के पर्याय बन चुके थे : सलीम शेरवानी
आगरा। बॉलीवुड के मशहूर सिंगर और संगीतकार बप्पी लहिरी यानी बप्पी दा अपने संगीत प्रेमियों को आज़ छोड़ कर चले गए। उनका मुंबई स्थित जुहू क्रिटी केयर अस्पताल में तकरीबन रात ग्यारह बजे 69 साल की उम्र में निधन हो गया। बप्पी लहिरी पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। पिछले साल अप्रैल में बप्पी दा को कोरोना भी हुआ था। अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि उनकी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया के कारण मौत हो गयी हैं।
इस संदर्भ में खेरागढ़ के समाजसेवक व वरिष्ठ पत्रकार सलीम शेरवानी ने कहा - अफसोस, आज़ हमाने एक बहतरीन संगीतकार को खो दिया। उनको सोना पहनना बहुत पसंद था। सच में वो संगीन की सोने की खान थे। धन्यवाद बप्पी दा हमारी टीन एज के सुनहरे दिनों को यादगार बनाने के लिए। आप हमारी यादों में हमेशा बने रहेंगे। उनका गाया और संगीत बद्ध किया मेरी टीन एज की दुनिया का ये गीत सुनिए जिसमे हम बंद कमरे में बल्ब के ऊपर लाल रंग की पन्नी लगाकर लाल रोशनी में डांस किया करते थे। ये जो आप आजकल जगह - जगह डीजे देखते हैं। इसकी शुरुआत हमारी पीढ़ी ने ही की थी। जो अब बंद कमरों से निकल कर शादी ब्याह में जा पहुंची। तब हमारे बड़े बूढ़े इनको पागल दीवाना समझते थे। बप्पी लहरी किसी रॉक स्टार से कम नहीं थे। आज उनके लिए थे शब्द इस्तेमाल करना बहुत बुरा लग रहा है। पर क्या करें नियति है ये, कि जो आया है वो एक दिन जायेगा भी। बप्पी दा का पहला गाना जख्मी फिल्म का जख्मी दिलो का बदला चुकाने आए है दीवाने दीवाने हालांकि पहली फिल्म उनकी नन्हा शिकारी थी। तब पॉप म्यूजिक में इकलौता आर डी बर्मन का ही नाम था, लेकिन बप्पी दा जब अपनी फार्म में आए तो बस फिर बप्पी दा ही छाए रहे। टीन एज की उम्र में मिथुन दा को एक गाना गाते सुना मौसम है गाने का गाने का बजाने का ये जीवन ये दुनिया सपना है दीवाने का खुद बप्पी दा ने इसे गाया भी। आप इस गीत को आज दुबारा सुने। 1979 में आई एक बी ग्रेड की फिल्म सुरक्षा का है ये गाना, मिथुन और बप्पी लहरी दोनो का ऐसा कबिनेशन था कि हम लोग उनके दीवाने बन गए। ऐसा संगीत हमने कभी सुना नही था। आर डी बर्मन दम मारो दम जैसे गाने और फिल्म हम किसी से कम नहीं में धूम मचा चुके थे, लेकिन मिथुन के डांस स्टेप और बप्पी दा का म्यूज़िक चलकर बड़ी धूम मचाने वाला था।
श्री शेरवानी ने कहा कि बप्पी दा का संगीतबद्ध किया ये भजन सुनिए श्याम रंग रंगा रे फिल्म अपने पराए से,येसुदास की मधुर आवाज किसी भगवान की नेमत से कम नहीं। येसुदास धर्म से ईसाई है,लेकिन उनके गाये भजन आज भी किसी और दुनिया में ले जाते है। ये हमारे धर्म निरपेक्ष भारत की खूबसूरती है, जो हम सबको एक सूत्र में बांधती है। बप्पी दा की स्मृतियों को याद करते हुए। फ़िल्म वारदात और उसके बाद डिस्को डांसर ने बप्पी दा को बुलंदियों में पहुंचा दिया। अब बप्पी दा पॉप रॉक जैज के पर्याय बन चुके थे भारत में। बी ग्रेड से ए ग्रेड की फिल्मों तक बप्पी तेजी से ऊपर गए जिसमे उनकी दक्षिण भारतीय हिंदी फिल्मों ने बड़ा योगदान दिया। सिर्फ पाश्चात्य संगीत के ही महारथी नही थे बप्पी दा। आप उनके संगीत से सजी फिल्म अपने पराए देखे उसमे जो बंगाल का संगीत संजोया है। उसकी मधुरता में आप खो जायेंगे। आपको यकीन ही नहीं आएगा कि इसका संगीत बप्पी दा ने दिया है। आपको लगेगा कि ये संगीत तो एस डी बर्मन का है।1983 में आई फिल्म हिम्मतवाला से जो उनका दक्षिण भारत के फिल्म मेकर्स के साथ सफर शुरू हुआ तो एक वक्त ऐसा आया कि बप्पी दा का म्यूज़िक ही हर तरफ छाया हुआ रहा और आज भी हमारे दिलों में बसा हुआ हैं और रहेगा।