‘नरकपुरी ‘ में स्वागत है, बेबस नागरिको ने दीपक चाहर की कॉलाेनी का नाम रखा नरकपुरी
आगरा की एक कॉलोनी का नाम बदलकर नागरिकाें ने बदबू विहार रख दिया है।
आगरा में अलबतिया दौरेठा पंचशील मान सरोवर नवनीत नगर सैनिक नगर अवधपुरी कालोनी में बदले नाम।
अधूरी सड़क अधूरे नाले जलभराव से परेशान लोगों का मकान बिकाऊ के बैनर लेेकर प्रदर्शन।
विकास शुल्क और हाउस टैक्स लेने के बाद नहीं हो रहे काम।
शाहगंज और जगदीशपुरा की आधा दर्जन से अधिक कालोनियाें के 14 वर्ष से वादों का वनवास झेल रहे लोगों की समस्याओं का रावण इस बार भी नहीं मारा गया तो शुक्रवार को उन्होंने बड़ा कदम उठा लिया।
अपनी कई कालोनियों के नाम बदल दिए। अवधपुरी का नाम नरकपुरी तो पंचशील कालोनी का नाम दुर्गंधशील कालोनी रख दिया।
इसके साथ ही मान सरोवर कालोनी को नाला सराेवर, नवनीत नगर को बदबू नगर, सैनिक नगर को घिनाैना नगर नाम दे दिया।
यहां तक कि भारतीय क्रिकेट टीम के प्लेयर दीपक चाहर की कॉलोनी का नाम भी बदलकर नरकपुरी रख दिया गया है।
14 साल से झेल रहे समस्या
करीब 14 वर्ष से समस्याओं से जूझते कालोनी वालों ने शुक्रवार को अपने हाथों में मकान बिकाऊ के बैनर लेकर प्रदर्शन किया। जिसके बाद कालोनी के पुराने की जगह नए नाम के बोर्ड बनाकर लगा दिए। लोगों का कहना था कि उनकी समस्याओं का वनवास खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
समस्याओं का रावण जस का तस खड़ा हुआ है, पहले सड़क और नाले अधूरे बने पड़े थे। रही सही कसर नगर निगम ने सीवर और पानी की लाइन डालकर पूरी कर दी। अब हर घर के सामने गड्ढे खुदे पड़े हैं।
13 वर्ष में दूर न हो सकीं तीन समस्या
-शंकरगढ़ की पुलिया से वायु विहार रेलवे फाटक तक 100 फुटा रोड डिवादडर वाली बननी थी। यह सड़क तीन हिस्सों बननी थी। एडीए ने वर्ष 2009 में बीच वाला हिस्सा पंचशील कालोनी से शुक्ला मार्केट तक बनाकर छोड़ दिया। जबकि ये मार्ग प्रस्तावित मास्टर प्लान में शामिल था।
विकास प्राधिकरण ने पंचशील कालोनी से शांति मैरिज होम तक नाला बनाकर अधूरा छोड़ दिया। जबकि यह नाला शंकरगढ़ की पुलिया से वायु विहार सड़क के किनारे दोनों ओर बनना था।
इसे सिर्फ एक ही साइड बनाकर छोड़ दिया। जिससे पूरी 22 कालोनी की 70 हजार की आबादी प्रभावित हो रही हैं। नारकीय स्थिति बनी हुई है।
-घरों के आगे हमेशा गंदा पानी भरा रहता है, कूड़े के ढेर लगे रहते हैं। जिसके चलते वर्ष भर नारकीय हालात रहते हैं।
जितनी सड़क बनाई गई थी, उस पर वर्ष 2009 में स्ट्रीट लाइट लगी थी, जो 15 दिन तक ही जली इसके बाद दोबारा नहीं जली। जबकि विकास प्राधिकरण के खंबे और लाइटें अभी भी लगी हुई हैं, लेकिन जलती नहीं है।
मुख्यमंत्री कार्यालय को भी किया गया गुमराह
विभागों ने कालोनी वालाें की समस्या का समाधान नहीं किया, शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय में की गई थी। विभाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय को भी गुमराह कर दिया। स्थानीय निवासी अनिल तिवारी ने बताया कि वर्ष 2018 में जन सुनवाई पोर्टल पर मुख्यमंत्री कार्यालय में इन समस्याओं को लेकर शिकायत की थी। जिस पर तत्कालीन उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने संबंधित विभागों को प्रभावी कार्यवाही करने की कहा था।कालोनियों का किसी विभाग ने सर्वे नहीं किया, मुख्यमंत्री कार्यालय को सब ठीक है कि रिपोर्ट आई थी।
जन प्रतिनिधियों के खिलाफ भी आक्रोश