एसएसपी प्रभाकर चौधरी साहब एक नजर इधर
थानों से लेकर चौकी तक नहीं होती पीड़ितों की सुनवाई
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👉 चौकी इंचार्ज ने कोरे कागज पर कराएं साइन कहां मुकदमा लिख दूंगा मगर नहीं लिखा गया
👉 चौकी पर पीड़ित से बोले एसएसपी कार्यालय पर शिकायती पत्र क्यों दिया
👉 चौकी इंचार्ज बोले झूठ मोबाइल पर कहा मुकदमा लिख गया है
👉 चौकी इंचार्ज से क्राइम नंबर पूछने पर बताया गलत नंबर
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आगरा। संवाददाता। मुकदमा थाने या चौकी पर ना लिखने के बाद पीड़ित परिवार अधिकांश पुलिस के उच्च अधिकारियों के यहां अपनी फरियाद लेकर जाता है और पुलिस के उच्च अधिकारी कार्रवाई करने के लिए मार्क करते हुए थाने व चौकी को निर्देश पारित कर देते हैं। मगर होता वही है जो थानेदार यह चौकी इंचार्ज चाहता है।
मामला थाना जगदीशपुरा थाने का है प्रार्थना पत्र देने के बावजूद भी कार्रवाई ना होने पर एसएसपी साहब के यहां डाक के द्वारा एक प्रार्थना पत्र 9 सितंबर को सुरेश पुत्र जीवित राम निवासी 184 अंजनी पुरम बालाजी नगर थाना जगदीशपुरा द्वारा भेजा जाता है उसके बाद उपरोक्त शिकायत पत्र थाने से होते हुए अवधपुरी चौकी प्रभारी दीपक चौधरी के यहां आ जाता है चौकी से पीड़ित परिवार को बुलाने पर सुरेश के साथ उसके भाई वह अपनी पहचान न बताते हुए एक पत्रकार भी उनके साथ मौजूद रहता है चौकी पर एक मुख्य आरक्षी उनसे पूछता है क्या बात है तो सुरेश कहता है बुलाया गया था मुख्य आरक्षी पूछा क्या नाम है पीड़ित कहता है सुरेश मुख्य आरक्षी कहता है प्रार्थना पत्र दिया था सुरेश कहता है हां मुख्य आरक्षी चौकी प्रभारी को बताता है सुरेश करमचंदानी आया है चौकी प्रभारी प्रार्थना पत्र मुख्य आरक्षी से मांगते हैं उसके बाद मुख्य आरक्षी एक कोरे कागज पर साइन कराते हैं जब पीड़ित सुरेश ने कहा कि यह कोरा कागज है तो मुख्य आरक्षी और चौकी प्रभारी ने कहा इस पर हम लिखेंगे कि हमने आप को बुलाकर आपकी समस्या को सुना उसके बाद जांच करने के उपरांत मुकदमा आपका दर्ज कर लिया जाएगा मगर मुकदमा आज दिनांक तक नहीं लिखा गया।
क्या था पीड़ित सुरेश का मामला
सुरेश करमचंदानी की शादी आशा इसरानी पुत्री टेकचंद इसरानी के साथ 2 फरवरी को हुई थी कुछ दिन पत्नी के रूप में रहने के बाद एक दिन लड़की के माता-पिता वह भाई उसको अपने साथ ले गए उस दौरान लड़की समस्त सोने चांदी के जेवर पैन के गई साथ ही चुपके से लड़के की मां वह भाभी के जेवर भी उठाकर ले गई अगले दिन जब लड़के की मां व भाभी ने अलमारी खोलकर देखा तो जेवर गायब होते ही हैरान हो गए और तुरंत ही आशा इसरानी को कॉल किया उधर से जो जवाब मिला उसके बाद पीड़ित सुरेश करमचंदानी परिवार के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई। बताया जाता है कि उसके द्वारा कहा गया कि यह हमारा बिजनेस है शादी करो सोना, चांदी, रुपया ठगों और रफूचक्कर हो जाओ इससे पहले भी हमने एक परिवार को ऐसे ही ठगा था पीड़ित सुरेश बताते हैं पहले की शादी के संबंध में लड़की वालों ने कुछ भी नहीं बताया था पीड़ित परिवार ने अपना सोना वह शादी से पहले लिया गया रुपया मांगने पर आशा इसरानी के भाई विजय इसरानी से मोबाइल पर बात करने के दौरान सोना वापस करने का वादा किया और बताया कि वह कहीं मैंने गिरवी रख दिया है हम आपको दे देंगे जिसकी रिकॉर्डिंग पीड़ित परिवार के पास मौजूद हैं
चौकी प्रभारी की कारगुजारी या खेल
इस पीड़ित परिवार के मुकदमे के संबंध में संवाददाता द्वारा चौकी प्रभारी दीपक चौधरी से बातचीत की गई तो उनके द्वारा पहले बताया गया जांच करने के उपरांत मुकदमा लिख दिया जाएगा उसके बाद अगली बार बात करने पर उन्होंने कहा मुकदमा लिख गया है थाने से पीड़ित परिवार को मुकदमे की कॉपी मिल जाएगी जब कॉपी लेने पीड़ित परिवार गया तब पता पड़ा मुकदमा ही नहीं लिखा गया है इस संबंध में संवाददाता द्वारा चौकी प्रभारी से बात की गई तो उनके द्वारा मुकदमा लिख जाने की फिर बात कही जब उनसे क्राइम नंबर पूछा गया तो चौकी प्रभारी दीपक चौधरी के द्वारा क्राइम नंबर 579/2022 बताया गया जब इस क्राइम नंबर को चेक किया गया तो किसी पवन के नाम पर निकल कर आया इस संबंध में चौकी इंचार्ज से बात करने वह स्क्रीनशॉट उनके व्हाट्सएप पर डालने के बाद चौकी इंचार्ज यह कहते हुए पल्ला झाड़ दिया कि मैं समझ नहीं पाया कि आप किस मुकदमे के संबंध में बात कर रहे हैं। जबकि संवाददाता द्वारा उनसे कम से कम चार पांच बार मोबाइल पर बात की गई और चौकी प्रभारी के द्वारा यह भी बताया गया आरोपियों के द्वारा बताया गया है कि हम पंचायत में फैसला कर लेंगे इससे ही चौकी प्रभारी का कारनामा सामने आ रहा है कि चौकी प्रभारी के द्वारा आरोपियों से सोने चांदी के संबंध में क्यों नहीं पूछ कर कार्रवाई की गई क्या चौकी प्रभारी ठगों को भागने का मौका देना चाहते हैं।
देखने वाली बात यह होगी जिले के कप्तान प्रभाकर चौधरी अपनी साफ-सुथरी छवि के लिए ही जाने पहचाने जाते हैं उनकी छवि को ही उनके अधीनस्थ बदनमा दाग लगाने पर तुले हुए हैं देखना होगा कब तक पीड़ित परिवार का मुकदमा लिखा जाता है और कब ठगों के खिलाफ कार्रवाई होती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
थाना, चौकी बढ़ाते हैं पुलिस अधिकारियों व अदालत के काम
अगर पुलिस अपनी कारगुजारी छोड़कर ईमानदारी से कार्य कर ले तो पीड़ित को पुलिस के उच्च अधिकारियों के पास वह न्यायालय की शरण नहीं लेनी पड़ेगी। मगर थाना, चौकी स्तर पर सुनवाई ना होने वह खेल के चले पुलिस के आला अधिकारियों के कार्यालयों में पीड़ितों की भीड़ लगी रहती है साथ ही पुलिस की कारगुजारी के चले अदालतों में पीड़ितों को न्याय पाने के लिए 156/ 3 की कार्रवाई आदेश के लिए जाना पड़ता है। जिससे अदालतों के काम पुलिस की कारगुजारी के चले बढ़ जाते हैं।
सूत्रों द्वारा बताया जाता है पहले तो पुलिस मुकदमा लिखती नहीं है लिखती इसी आधार पर है या तो कोई प्रभावशाली आदेश हो या खेल हो जाए उसके बाद विवेचना के आधार पर दोनों हाथों में लड्डू पीड़ित को आश्वासन दिया जाता है कार्रवाई कर देंगे भागदौड़ बहुत हो जाती है आप समझो वहीं आरोपी को धरा धमका कर कार्रवाई का भय दिखाते हुए धाराओं को कम करने का खेल के नाम पर बंद नमस्ते का खेल कर दिया जाता है। इसी के चले कई बार मुकदमों में धाराओं के खेल के चले पीड़ित परिवार को अदालतों में पोटेशन भी दाखिल करनी पड़ती है।