शिक्षा के मंदिर में छात्रों से भेदभाव,जाति विशेष को लेकर मैनजमेंट ने बदला अपना स्वभाव,छात्रा को निकाला
आगरा:- उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान बहुत ही तेजी के साथ चलाया जा रहा है लगातार विभाग इस अभियान को सफल बनाने में लगे हुए हैं पुलिस भी रोजाना महिला सशक्तिकरण को लेकर मिशन शक्ति अभियान भी चला रही है लेकिन फिर भी कुछ संस्थानों के द्वारा इस अभियान को पलीता लगाया जा रहा है यह संस्थान सीएम के आदेशों में सेंध लगा रहे हैं ऐसा ही एक मामला जनपद आगरा के थाना शाहगंज क्षेत्र का है यह एक विद्यालय अध्यापिका ने जाति विशेष को लेकर छात्रा के साथ मारपीट की और दूसरे दिन विद्यालय प्रधानाचार्य एवं प्रबंधक ने छात्रा के परिजनों को बुलाकर उसकी टीसी हाथ में थमा दी मामला सिर्फ इतना था कि छात्रा ने अपने साथ ही अन्य छात्राओं के साथ पीने वाले पानी से मुंह धो लिया था।
मिली जानकारी के अनुसार आगरा के थाना शाहगंज क्षेत्र के न्यू गोविंद नगर स्थित सिंबोजिया गर्ल्स पब्लिक स्कूल में पूर्व सपा नेत्री मोनिका नाज खान की 16 वर्ष की बेटी एलिस नौवीं कक्षा में पढ़ती है। एलिस की मां मोनिका ने बताया कि गुरुवार को उनकी बेटी जब स्कूल से लौट कर घर आई तो वह रोने लगी। जब मैंने उससे रोने का कारण पूछा तो वह सिर्फ एक बात दोहरा रही थी कि अब मुझे जिंदा नहीं रहना मेरी बहुत बेइज्जती हो गई है। कुछ देर बाद बेटी की कुछ सहेलियां मेरे घर पर आईं और उन्होंने मुझे पूरा मामला बताया।
मोनिका नाज खान ने बताया कि उनकी बेटी की आंखों में आई फ्लू की वजह से कुछ परेशानी हो रही थी। ऐसे में वह पीने वाले पानी से अपनी आंखों को धोने लगी। इस दौरान स्कूल में मौजूद शिक्षिका अनीता बिना कुछ कहे मेरी बेटी के बाल पकड़कर उसे पीटते हुए कक्षा में ले गईं। उसके साथ काफी अभद्रता की। बेटी की सहेलियों ने बताया कि टीचर की पिटाई के बाद से एलिस स्कूल में पूरे समय रोती रही।
इसके बाद मोनिका स्कूल के प्रधानाचार्य से इस मामले की शिकायत करने के लिए पहुंची। उन्होंने बताया कि जब प्रधानाचार्य ने शिक्षिका को बुलाया तो शिक्षिका अनीता ने ऐसा कोई भी मामला होने से साफ इनकार कर दिया। जब मैंने इसका विरोध किया तो प्रधानाचार्य जेएस राणा ने मुझसे कहा कि अगर आपको स्कूल से इतनी ही परेशानी है तो आप अपनी बेटी का एडमिशन कहीं और करा लीजिए। इसके बाद उन्होंने मेरी बेटी की टीसी काटकर मेरे हाथ में थमा दी। और बोले कि हमें जाति विशेष की पता होती तो पहले ही एडमिशन नहीं लेते लेकिन मैं टीसी स्कूल में ही छोड़कर वापस चली आई।
इसके बाद दोबारा से जब मैं स्कूल गई तो मुझे एंट्री नहीं दी गई। ऐसे में मैंने पुलिस को कॉल किया तो पुलिस मौके पर पहुंची और उनके साथ स्कूल के अंदर गई। लेकिन प्रधानाचार्य ने साफ इंकार कर दिया कि हम आपकी बच्ची को स्कूल में नहीं पढ़ाएंगे। पीड़ित छात्रा की मां मोनिका ने बताया कि इस मामले के बाद से मेरी बेटी अवसाद में है और बार-बार बस यही कह रही है कि मेरी बहुत बेइज्जती हो गई है, मैं अब जीना नहीं चाहती। ऐसे में मैंने उसे मनोचिकित्सक को दिखाया गया। उसका इलाज चल रहा है। मैं अभी अपनी बेटी को स्कूल भी नहीं भेज रही हूं। वहीं स्कूल की प्रधानाचार्य से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।