आगरा। एससी-एसटी एक्ट के मुकदमे दर्ज करने के लिए न्यायालय में प्रार्थना पत्रों की संख्या बढ़ती जा रही है। इससे विशेष न्यायाधीश काफी चिंतित हैं, उन्होंने पुलिस कमिश्नर को थानों में मुकदमा ना दर्ज होने पर थाना प्रभारी के ऊपर कारवाई करने की चेतावनी दी है। उन्होंने जिलाधिकारी को भी पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई है कि आगरा में कोई विशेष अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है, उन्होंने लिखा है कि यह घोर आपत्तिजनक है।
विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट पुष्कर उपाध्याय द्वारा पुलिस आयुक्त को भेजे गए पत्र में थानों में एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा हर हाल में दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसा न करने पर संबंधित अधिकारी पर धारा 4 एससी-एसटी एक्ट के तहत दंडात्मक कार्रवाई के लिए न्यायालय बाध्य होगा। उनके न्यायालय में 173 (4) बीएनएस के कई प्रार्थना पत्र लंबित हैं। अनुसूचित जाति एवं अनुचित जनजाति निवारण अधिनियम 1989 की धारा 15 क (9) में स्पष्ट प्रावधान है कि थाने आने पर हर हाल में फरियादी की एफआईआर को दर्ज कर उसकी निशुल्क फोटो प्रति प्रदान की जाएगी। धारा 10 अधिनियम के अपराधों से संबंधित सभी कार्रवाई की वीडियोग्राफी होनी अनिवार्य है। अधिनियम चार में कर्तव्य की उपेक्षा के लिए पुलिस अधिकारी पर कम से कम 6 माह के दंड का प्रावधान है। उन्होंने पुलिस आयुक्त को निर्देशित किया है कि वह जनपद के सभी पुलिस अधिकारियों को उपरोक्त अधिनियम में अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दें। उन्होंने जिला अधिकारी को भी पत्र लिखा है। उसमें उन्होंने लिखा है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण नियम 1995 की धारा 10 के अंतर्गत परिलक्षित क्षेत्र में अपर जिला मजिस्ट्रेट के रैंक के एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अन्य अधिकारियों के परामर्श के पश्चात की जाएगी। उक्त अपर जिला मजिस्ट्रेट विशेष अधिकारी अत्याचार से पीड़ित व्यक्तियों को तत्काल राहत और अन्य सुविधाएं एवं अन्य संरक्षण प्रदान करेगा उन्होंने कहा है कि उनके संज्ञान में आया है कि विशेष अधिकारी की नियुक्ति जनपद आगरा में नहीं की गई है, जो घोर आपत्तिजनक है। उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि इस अधिकारी की तत्काल प्रभाव से नियुक्ति की जाए।