एक तरफ मलबे के नीचे दबे लोगों की चीखें... तो दूसरी तरफ एक ऐसा पुलिस अधिकारी, जो अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को मौत के मुँह से खींच ला रहा था। - समाचार RIGHT

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सोमवार, 7 अप्रैल 2025

एक तरफ मलबे के नीचे दबे लोगों की चीखें... तो दूसरी तरफ एक ऐसा पुलिस अधिकारी, जो अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को मौत के मुँह से खींच ला रहा था।

आगरा से एक तस्वीर आई है जो डराती भी है और दिल को छू जाती है। एक तरफ मलबे के नीचे दबे लोगों की चीखें... तो दूसरी तरफ एक ऐसा पुलिस अधिकारी, जो अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को मौत के मुँह से खींच ला रहा था।

ये कहानी है इंस्पेक्टर आनंदवीर मलिक की है। जो आज़माईश की उस घड़ी में नायक बनकर सामने आए।जब थाना जगदीशपुरा क्षेत्र के आवास विकास सेक्टर-4 में एक बहुमंजिला इमारत धराशायी हुई, तो चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। चीख-पुकार, मलबे में दबे लोग, और ऊपर से गिरते हुए पत्थर। इसी बीच पहुंचे इंस्पेक्टर आनंदवीर, बिना एक पल गंवाए खुद मलवे में कूद पड़े।ना सुरक्षा की चिंता, ना चोट का डर... बस एक ही मिशन कि लोगों की जान बचानी है!उनके पीछे-पीछे पूरी पुलिस टीम भी कूद पड़ी राहत बचाव कार्य में स्थानीय लोग भी जुट गए और रेस्क्यू चलता रहा... और उसी इंस्पेक्टर आनंदवीर की अगुवाई में 9 लोगों को मौत के मुँह से जिंदा बाहर निकाला गया।जिनमें से इलाज के दौरान दो की मौत हो गई और पुलिस ने 7 की जान बचा ली।

लेकिन किस्मत ने फिर करवट ली। एक भारी गार्डर, जो जेसीबी से हटाया जा रहा था। अचानक उसका बैलेंस बिगड़ा और वो सीधा जा गिरा इंस्पेक्टर आनंदवीर पर। गार्डर उनके पैरों पर गिरा, और वो ज़मीन पर ढेर हो गए।पर जो कुछ पल पहले तक लोगों को गोद में उठाकर अस्पताल पहुँचा रहे थे, अब उनके सिपाही उन्हें अपनी गोद में उठाए भाग रहे थे।इस मंज़र को जिसने भी देखा उसकी आँखें नम हो गईं। आज इंस्पेक्टर आनंदवीर न सिर्फ एक पुलिस अफसर हैं, बल्कि वो जिंदा मिसाल हैं  फ़र्ज़, हिम्मत और इंसानियत की। अपने इस कार्य को लेकर इंस्पेक्टर आनन्दवीर मलिक की पुलिस फ़ोर्स ही नहीं आम जनता के भी हीरो बनकर उभरे हैं।

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