रबी फसलों के कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई आगामी खरीफ फसल के लिये लाभकारी- जिला कृषि रक्षा अधिकारी - समाचार RIGHT

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रविवार, 18 मई 2025

रबी फसलों के कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई आगामी खरीफ फसल के लिये लाभकारी- जिला कृषि रक्षा अधिकारी

रबी फसलों के कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई आगामी खरीफ फसल के लिये लाभकारी- जिला कृषि रक्षा अधिकारी

आगरा:-जिला कृषि रक्षा अधिकारी विनोद कुमार सिंह ने अवगत कराया है कि परम्परागत कृषि विधियों यथा-कतार में बुवाई, फसल चक्र सहफसली खेती, ग्रीष्म कालीन जुताई आदि कम लागत में गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त करने के लिये महत्वपूर्ण है। इनको अपनाने से जल, वायु, मृदा पर्यावरण प्रदूषण कम होता है। कीट एंव रोग नियन्त्रण आधुनिक विधा एकीकृत नाशी जीव प्रबन्धन (आई0पी0एम0) के अन्तर्गत भी इन परम्परागत विधियों के अपनाने पर बल दिया जाता है। रबी फसलों के कटाई के बाद खेत की गहरी जुताई आगामी खरीफ फसल के लिये अनेक प्रकार से लाभकारी है। 
उन्होंने आगे यह भी अवगत कराया है कि ग्रीष्मकालीन जुताई का मुख्य उददेश्य एवं उससे लाभ यथा- ग्रीष्मकालीन जुताई करने से मृदा की संरचना में सुधार होता है, जिससे मृदा की जल धारण क्षमता बढ़ती है, जो फसलों के लिये अत्यन्त उपयोगी होती है। खेत की कठोर परत को तोड़कर मृदा को जडों के विकास के लिये अनुकूल बनाने हेतु ग्रीष्मकालीन जुताई अत्यधिक लाभकारी है। खेत में उगे हुये खरपतवार एवं फसल अवशेष मिटटी में दब कर सड़ जाते हैं तथा जैविक खाद में परिवर्तित हो जाते है, जिससे मृदा में जीवॉश की मात्रा बढती है। मृदा के अन्दर छिपे हुये हॉनिकारक कीड़े, मकोडे़, उनके अण्डे, लार्वा प्यूपा एवं खरतवारों के बीच गहरी जुताई के बाद सूर्य की तेज किरणों के सीधे सम्पर्क में जाने से नष्ट हो जाते हैं, जिससे फसलों पर कीटनाशकों एवं खरपतवारनाशी रसायनों का कम उपयोग करना पड़ता है। गर्मी की गहरी जुताई के उपरान्त मृदा में पाये जाने वाले हॉनिकारक जीवॉणु, कवक, निमेटोड एवं अन्य हॉनिकारक सूक्ष्म जीव मर जाते हैं, जो फसलों में मृदा जनित रोग के प्रमुख कारक होते हैं। मृदा में वायुसंचार बढ़ जाता है, जो लाभकारी सूक्ष्म जीवों के वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है, जिससे फसलों के गुणवत्तापूर्वक उत्पादन में लाभ मिलता है। मृदा में वायुसंचार बढ़ने से खरपतवारनाशी एवं कीटनाशी रसायनों के विशाक्त अवशेष एवं पूर्व फसल की जड़ों द्वारा छोडे़ गये हॉनिकारक रसायनों के अपघटन में सहायक होती है।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने कृषक भाइयों से आग्रह किया है कि किसी भी कीट/रोग व खरपतवार की समस्या के निवारण हेतु व्हाटस एप नं0-9452247111 अथवा 9452257111 पर प्रभावित पौधों की फोटो सहित अपनी समस्या व पता लिखकर मैसेज भेजकर 48 घण्टे के अन्दर निदान हेतु सुझाव प्राप्त करें तथा निकटतम विकास खण्ड स्तर पर प्रभारी, राजकीय कृषि रक्षा इकाई अथवा जनपद स्तर पर अधोहस्ताक्षरी कार्यालय से सम्पर्क करें।

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