कुलपति और अधिवक्ता डॉक्टर अरुण कुमार दीक्षित के बीच घमासान मचा हुआ है - समाचार RIGHT

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सोमवार, 16 जून 2025

कुलपति और अधिवक्ता डॉक्टर अरुण कुमार दीक्षित के बीच घमासान मचा हुआ है

आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशु रानी और विश्वविद्यालय से कार्य विरत किए गए अधिवक्ता डॉक्टर अरुण कुमार दीक्षित के बीच घमासान मचा हुआ है। दोनों ओर से आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है। कुलपति ने कहा है कि अधिवक्ता जांच से घबरा रहे हैं, जांच के लिए सहयोग नहीं कर रहे हैं। इस पर अधिवक्ता डॉ. अरुण दीक्षित का कहना है कि  मुझे तो अभी तक यह भी पता नहीं है कि जांच कर कौन रहा है। जांच कमेटी में कौन-कौन शामिल है। मुझे तो अभी तक किसी कमेटी ने बुलाया भी नहीं है। बयान के लिए मेरे पास कोई पत्र भी नहीं आया है।


विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने भ्रष्टाचार की प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज भवन में शिकायत की है। प्रधानमंत्री कार्यालय से चीफ सेक्रेटरी उत्तर प्रदेश को जांच दी गई है। कुलपति प्रोफेसर आशु रानी के द्वारा कहा जा रहा है कि अधिवक्ता अनैतिक दबाव बना रहे हैं। इसके साथ ही वह जांच में अभी सहयोग नहीं कर रहे हैं। दीक्षित का कहना है कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलने के बाद मैंने खुद आरटीआई के माध्यम से पूछा है कि जांच कमेटी में कौन-कौन सदस्य हैं। मैं तो पत्रकार साथियों से भी अनुरोध कर रहा हूं वह भी पूछ लें कि क्या जांच कमेटी ने अभी तक मुझे बुलाया है और उसमें कौन-कौन सदस्य हैं। मैं अपनी जगह बिल्कुल सही हूं। हर जगह अपनी बात रखने को तैयार हूं। दूसरी बात यह है कि जब कुलपति पर ही आरोप हैं तो वह जांच कमेटी कैसे बना सकती हैं। उनके द्वारा बनाई गई जांच कमेटी निष्पक्ष निर्णय कैसे देगी? मैंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज भवन में शिकायत की है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने तो चीफ सेक्रेटरी को जांच दे दी है। मुझे जब भी वहां बुलाया जाएगा मैं सभी सबूतों के साथ जाऊंगा। इसी प्रकार कुलाधिपति के द्वारा अगर कमेटी बनाई जाती है तो उस कमेटी के सामने भी सभी बात ईमानदारी पूर्वक रखूंगा।


मुझे कुलाधिपति पर भी पूरा भरोसा बोले अधिवक्ता

मुझे कुलाधिपति पर भी पूरा भरोसा है। पूर्व में भी जब मेरे द्वारा शिकायत की गई थी तो उन्होंने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने निष्पक्ष जांच की और मेरे आरोपों को सही पाया। कुलपति प्रोफ़ेसर अशोक मित्तल को हटना पड़ा। कुलाधिपति की वह रिपोर्ट मेरे पास मौजूद है। कुलपति प्रोफेसर आशु रानी को भी यही लग रहा है। अगर ऊपर लेवल से निष्पक्ष तरीके से जांच हो गई तो उनकी भी पोल खुल जाएगी, उनके कार्यकाल में क्या-क्या हुआ यह सब सामने आ जाएगा और उन्हें हटना पड़ सकता है। इसी के चलते वह मुझ पर मिथ्या और तथ्य विहीन आरोप लगाने में लगी हुई हैं। उनके द्वारा बनाये गए कूट रचित दस्तावेज मीडिया को दिखाने के बाद वह मुझ पर दबाव बनाने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा है कि वह हार नहीं मानेंगी, मैं भी यही बोल रहा हूं मैं भी हार नहीं मानूंगा। चाहे मेरी हत्या करा दी जाए। क्योंकि मैं अपनी जगह बिल्कुल सही हूं। रही बात मर्यादा की तो मैं एक ऐसे परिवार से हूं जहां पर संस्कारों का विशेष महत्व होता है। मैंने विश्वविद्यालय के हित के लिए कार्य किया है। मेरी मेहनत का पैसा मुझे नहीं मिला है। कुलपति ने यह भी कहा है कि मुझसे पैरवी करने वाले वादों का रिकॉर्ड मांगा गया था जो मेरे द्वारा नहीं दिया गया है। जबकि मैंने पूरा रिकॉर्ड विधि विभाग में दिया है, जिस बात के प्रमाण मेरे पास मौजूद हैं। मेरे इन बिलों को राधिका प्रसाद ने सत्यापित भी किया है। उसकी रिसीविंग मेरे पास मौजूद है। मैंने नौ बार भुगतान के लिए पत्र भी लिखा। यह सभी पत्र मेरे पास मौजूद हैं। कुलपति ने तो पत्रकार वार्ता में यह भी कहा था मैं विश्वविद्यालय मैं कार्यरत नहीं हूं। मेरी सेवाएं 2021 में समाप्त कर दी गई। जबकि दोबारा मुझे विश्वविद्यालय में रखे जाने का पत्र है और मैंने लगातार वादों में पैरवी की है। जब मैंने प्रोफेसर अशोक मित्तल की राज भवन में शिकायत की थी उस समय मुझे निष्कासित किया गया था। राज भवन के द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने मेरी शिकायत के बाद उन्हें गलत पाया गया और मुझे सही। इसके बाद प्रोफेसर अशोक मित्तल पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी थी लेकिन उन्होंने कार्रवाई से बचने के लिए इस्तीफा दे दिया। इधर मेरी शिकायत सही पाए जाने के बाद दोबारा कार्य परिषद के माध्यम से मुझे रखा गया। मुझे रखे जाने का पत्र मेरे पास मौजूद है। कागज कभी मरता नहीं है। मैं अपनी जो भी बात रख रहा हूं तथ्यों के साथ रख रहा हूं, तथ्यविहीन नहीं रख रहा। इसके साथ ही कुलपति यह भी बोल रही है कि मेरा 76 लाख का भुगतान हो गया है। वह यह क्यों नहीं बता रही हैं मेरा कितने लाख रुपए का भुगतान रुका हुआ है।


कुलपति के कार्यकाल का साढ़े दस लाख बकाया, आरोप

अधिवक्ता डॉक्टर दीक्षित का कहना है कि कुलपति प्रोफेसर आशु रानी के कार्यकाल का वर्ष 2022 से साढ़े दस लाख रुपए भुगतान उन्होंने रोका हुआ है। शिकायत तो यही है जो साढ़े दस लाख रुपये भुगतान रुका हुआ है उसी पर कमीशन मांगा गया है। रुके हुए भुगतान की कुलपति ने अभी तक किसी को जानकारी नहीं दी है, यह कितना है। दूसरा उन्होंने जो 76 लाख रुपए भुगतान होने की बात कही है, आरटीआई के माध्यम से पूछने पर 56 लाख का भुगतान करने कि मुझे सूचना दी गई है

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