सैयां टोल पर खुलेआम ओवरलोड़ वाहनों से की जा रही अवैध वसूली - समाचार RIGHT

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रविवार, 24 जनवरी 2021

सैयां टोल पर खुलेआम ओवरलोड़ वाहनों से की जा रही अवैध वसूली

 रिपोर्ट:-राजेश तौमर

फोटो राजेश तौमर

सैयां टोल कंपनी के रोज लाखों के बारे न्यारे


खुलेआम ओवरलोड़ वाहनों से की जा रही अवैध वसूली


शिकायतों के बावजूद प्रशासन ने मूदीं आंखें नहीं हो रही कार्रवाई


आगरा। सैयां टोल कम्पनी की मनमानी से टोल प्लाजा पर लाखों रुपये की रोजाना खुले में रात भर अबैध वसूली की जा रही है। एनएचआई के आदेशों की लगातार धज्जियां उड़ाई जा रही हैं लेकिन टोल कम्पनी पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही। कई बार शिकायत होने के बाद भी प्रशासन के कानों में जू तक नहीं रेंगती, प्रशासन  इस तरफ से अपनी आंखें मूंदे बैठा है। जिससे साफ दिखाई देता है कि टोल कम्पनी को प्रशासन का खुला सरंक्षण प्राप्त है। इसलिए कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है और शिकायतों को खुर्द बुर्द कर दिया जाता है। 

सूत्रों  से प्राप्त जानकारी के अनुसार टोल प्लाजा पर पाथ कम्पनी के द्वारा रोजाना लाखों रुपए ओवरलोडिंग के वाहनों से एनएचआई के नियमों को ताक पर रख कर अवैध वसूली की जाती हैं।

सूत्रों की मानें तो प्रत्येक ओवरलोड ट्रक से चार हजार रुपए तक लिए जाते उसके बाद ओवरलोड ट्रकों को टोल प्लाजा से आगे निकाला जाता है। सैयां टोल प्लाजा से 24 घण्टे में लगभग पांच सौ ओवरलोड ट्रकों को निकाल कर रोजाना लाखों रुपए अबैध तरीके से पाथ कम्पनी द्वारा वसूल किये जा रहे हैं। जबकि नियम के अनुसार किसी भी टोल प्लाजा से ओवरलोड वाहनों को नहीं निकला जा सकता है। अगर कोई वाहन टोल प्लाजा पर ओवरलोड आता है तो उससे टोल प्लाजा पर दस गुना टैक्स लेकर उस वाहन से ओवरलोड वजन को उतार कर ही आगे जाने दिया जाता है। लेकिन यंहा टोल प्लाजा पर वाहन चालकों से साठगांठ कर ओवरलोडिंग का खेल खूब फल फूल रहा है। सूत्रों का कहना है कि बिना प्रशासन की सहमति से टोल प्लाजा से एक भी वाहन ओवरलोड नहीं निकल सकता है। जिस दिन प्रशासन कमर कस ले तो एक भी वाहन ओवरलोड़ नहीं निकल सकता है। आखिर प्रशासन क्यों नहीं कर रहा है इस टोल कंपनी द्वारा की जा रही अवैध वसूली पर कार्रवाई। सूत्रों का कहना है कि प्रशासन के कुछ अधिकारी एवं कर्मचारी अवैध वसूली की कमाई की मलाई में हिस्सेदार हैं। इसलिए कार्यवाही नहीं की जा रही है। जल्द ही इस अवैध वसूली की शिकायत लखनऊ तक जाने वाली है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस अवैध वसूली पर रोक लगाता है या लखनऊ से कार्यवाही की जाती है। इस विषय पर उपजिलाधिकारी से बात करने के लिए दूरभाष कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

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