साधना के हिमालय हैं आचार्य श्री विद्यासागर - समाचार RIGHT

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बुधवार, 20 अक्टूबर 2021

साधना के हिमालय हैं आचार्य श्री विद्यासागर

साधना के हिमालय हैं आचार्य श्री विद्यासागर
 
आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज हैं भारतीय संस्कृति के संवाहक

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वदेशी अपनाएं, पर्यावरण-स्वच्छता अभियान,हिंदी अपनाएं, संस्कृति बचाओ जैसे अभियानों को दे रहे हैं गति

आचार्यश्री  के 76वें जन्म दिवस पर मनाया अमृत महोत्सव

ललितपुर। संत शिरोमणि आचार्य श्री  108 विद्यासागर जी महाराज के 76 वें जन्मोत्सव के अवसर पर प्रभावना जन कल्याण परिषद और आचार्य विद्यासागर युवा मंच बुंदेलखंड  के संयुक्त तत्वावधान में "अन्तर्यात्री महापुरुष आचार्य श्री विद्यासागर का भारतीय संस्कृति को अवदान'' विषय पर वर्चुअल एक परिचर्चा  आयोजित की गई। 
परिषद के अध्यक्ष सुनील शास्त्रि सोजना ने कहा कि
आचार्यश्री का व्यक्तित्व अत्यंत गंभीर है, रत्नत्रय के धारी मोक्षमार्ग के पथिक हैं। वे साधना के हिमालय हैं। आचार्य विद्यासागर जी का जन्म 1946 में शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। 
आचार्य विद्यासागर युवा मंच बुंदेलखंड के निदेशक 
डां० सुनील जैन संचय  ललितपुर ने कहा कि आज तक के इतिहास में किसी भी संस्कृत भाषा के विद्वान ने पांच शतक से ज्यादा संस्कृत भाषा में नहीं लिखे हैं किंतु आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अपनी लेखनी से संस्कृत भाषा में छ्ह शतक लिखे हैं। उनका कृतित्व सार्वभौमिक है ,ज्ञान,ध्यान, तप के यज्ञ में आपने स्वयं को ऐसा आहूत किया कि अल्पकाल में ही प्राकृत ,संस्कृत,अपभ्रंश, हिंदी,अंग्रेजी, मराठी,कन्नड़ भाषा के मर्मज्ञ साहित्यकार के रुप में प्रसिद्ध हो गये। नई शिक्षा नीति में भी आपके मार्गदर्शन को शामिल किया गया है।
महामंत्री प्रद्दुम्न शास्त्री जयपुर ने कहा कि आचार्यश्री मात्र जैनों के ही नहीं जन-जन की आस्था के केंद्र हैं। इनकी प्रेरणा से हजारों गौवंश की रक्षार्थ दयोदय गौशालाएं संचालित हो रही हैं,हिंदी भाषा अभियान,इंडिया हटाओ भारत लाओ अभियान, हथकरघा स्वावलंबन रोजगार,स्वदेशी शिक्षा,संस्कृत, हिंदी ,अंग्रेजी का बेजोड़ साहित्य,हाइकू आदि उनकी श्रेष्ठतम साधना उन्हें संत शिरोमणि कहलाने के लिए काफी है।
उपाध्यक्ष राजेश रागी पत्रकार बकस्वाहा ने कहा कि 
आचार्यश्री की तप साधना के कारण प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सहित लाखों जैन-जैनेतर श्रद्धालु उनके चरणों में श्रद्धा से शीश झुकाते हैं। आचार्यश्री की प्रेरणा से  प्रतिभास्थली के माध्यम से बेटियों को संस्कारयुक्त शिक्षा देने का उपक्रम स्तुत्य है।
संयोजक राजेन्द्र महावीर सनावद ने कहा कि 
जीवन-मूल्यों को प्रतिष्ठित करने  के कारण उनके व्यक्तित्व में विश्व-बन्धुत्व की, मानवता की सौंधी-सुगन्ध विद्यमान है। आचार्यश्री की महत्त्वपूर्ण कृति 'मूकमाटी' की एक कविता को मध्यप्रदेश सरकार ने कक्षा 9 के पाठ्यक्रम में शामिल किया है।
कोषाध्यक्ष मनीष विद्यार्थी शाहगढ़ ने कहा कि 
आचार्यश्री साधना की एक पाठशाला हैं। वे सत्य की साधना के साथ प्रयोग करते हैं। विभिन्न भाषाओं के वेत्ता आचार्यश्री चलते-फिरते विश्वविद्यालय हैं, इस सदी के महायोगी हैं। वे गंभीरता से तत्त्व का चिंतन करते हैं। 
प्रचारमंत्री अनिल शास्त्री गुढ़ा ने कहा कि परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज न केवल श्रमण संस्कृति के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं बल्कि पूरी भारतीय संस्कृति को उन्होंने अपनी साधना से गौरवान्वित किया है। 
विदुषी डॉ. प्रगति जैन इंदौर ने कहा कि आचार्यश्री ने भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति के रूप में आयुर्वेद के संरक्षण और उसके व्यावहारिक अनुप्रयोग पर विशेष बल दिया है । उनके आशीर्वाद से जबलपुर मध्यप्रदेश में पूर्णायु आयुर्वेद चिकित्सा और अनुसन्धान केन्द्र की स्थापना हुई है । इस केन्द्र में अहिंसक शुद्ध और सात्विक विधि से निर्मित औषधियों से बड़े से बड़े रोगों का समूल निदान किया जाता है ।
निर्देशन ब्र. जयकुमार निशांत जी का रहा।
ऑनलाइन आयोजित इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम आचार्यश्री विद्यासागर जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया गया। मंगलाचरण गजेंद्र शास्त्री ने किया।

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