आचार्यश्री ने समाज को दी नई दिशा : आर्यिकाश्री
अवतरण दिवस पर विविध आयोजनों में भक्तों ने किया गुरू गरिमा का गुणगान
ललितपुर। क्षेत्रपाल मंदिर प्रांगण में संत शिरोमणि आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महाराज का अवतरण दिवस शरद पूर्णिमा पर आर्यिका आदर्शमति माता जी ससंघ के सानिध्य में दो दिवसीय गुरूगरिमा प्रतिभा पल्लिवन समारोह के दौरान बालिकाओं को संस्कारों का बोध कराया। संगीतमय भक्तिपूर्वक आचार्य श्री की पूजन में भक्तजन झूम उठे। आर्यिका आदर्शमति माताजी ने आचार्यश्री को संयम तप त्याग की प्रतिमूर्ति बताते हुए कहा गुरूदेव ही ऐसे संत है जो कल्याण के मार्ग पर स्वयं चलकर शिष्यों को मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।गुरूदेव की मुस्कान में वह ताकत है जिसपर हम बस न्योछावर हैं। इसके पूर्व आर्यिका दुर्लभमति माताजी ने गुरू के प्रति नमन करते हुए कहा गुरू का उपकार है शिष्यों पर जो आज कल्याण के मार्ग पर चल रहे हैं। उन्होने समाज को शिक्षा, चिकित्सा, हथकरघा के माध्यम से नई दिशा दी और भारत को पुन: सोने की चिडया बनाने का सपना पूरा करने के लिए मार्ग प्रशस्त किया। आज प्रात:काल व्रहमचारी मनोज भैया ने आचार्य श्री की भक्तिमय पूजन सम्पन्न कराई जिसमें सुधा कलश महिला मण्डल क्षेत्रपाल मंदिर, बालिका मण्डल अटामंदिर, आदर्श श्राविका महिला मण्डल बडा मंदिर, जिनवाणी संरक्षण मण्डल,कमण्डल सेवा मण्डल, प्रतिभास्थली निर्माण कमेटी पंचायत समिति ने पूजन की द्रव्य अर्पित की। आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के चित्र के सम्मुख श्रेष्ठीजनों ने दीपप्रज्जवलन का पुण्र्याजन किया।
जिनवाणी की अमूल्यनिधि में आर्यिका गणनी ज्ञानमति माताजी योगदान
शरद पूर्णिमा पर अवतरित संत शिरोमणि आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महाराज एवं आर्यिका गणनी ज्ञानमति माता जी के आदर्शो पर अखिल भारतीय दिगम्बर जैन महिला परिषद के तत्वावधान में एम्ब्रेाशिया जैन मंदिर में आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्षता करते हुए अध्यक्ष वीणा जैन ने कहा त्याग तपस्या की प्रतिमूर्ति आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के साथ साथ देश की प्रख्यात आर्यिका गणनी ज्ञानमति माता जी ने धर्म धर्मायतों की रक्षा के लिए समाज को प्रेरित किया वह अविस्मरणीय है उन्होने अनेकों ग्रंथों की रचना कर जिनवाणी के प्रचार प्रसार में अमूल्य निधि समाज को दी।