आगरा। वर्दी पहनने के बाद कानून में महारथ हासिल करने वाले अभी तक कई अधिकारी देखे गए हैं लेकिन कंप्यूटर में महारथ हासिल करने वाले बहुत कम। महारथ भी ऐसी जिसके सभी कायल हो जाएं। हम बात कर रहे हैं डीसीपी सिटी सोनम कुमार की। पुलिस विभाग के लिए एक के बाद एक बेहतरीन एप तैयार करने वाले आईपीएस सोनम कुमार को ‘एप बाबा’ की उपाधि दे दी जाए तो वह उनकी चमक के आगे फीकी पड़ जाएगी। विभाग के लिए उन्होंने जो कर दिया है वह काबिले तारीफ है। उनके द्वारा बनाए गए कई एप पुलिस विभाग के लिए फायदेमंद साबित हो रहे हैं।
डीसीपी सोनम कुमार 2016 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीटेक किया हुआ है। सेवा में आने से पहले नोएडा में एक अमेरिकन कंपनी में भी नौकरी की। 12 जनवरी 2023 को आगरा कमिश्नरेट में उनकी तैनाती हुई। सबसे पहले उन्होंने त्वरित जनसुनवाई और उस पर कार्रवाई का आइलाइन रिकार्ड रखने के लिए जनसुनवाई एप तैयार किया। आफिस में आने वाले फरियादियों का प्रार्थना पत्र इस एप पर आडियो या वीडियो साक्ष्य के साथ अपलोड होता है। संबंधित थाने से इसकी जांच करने के बाद रिपोर्ट भी इस पर दी जाती है। इसके बाद उन्होंने बेस्ड इन्वेंस्टीगेशन ट्रैकिंग एप विकसित किया। इस एप के माध्यम से वादी अपने मोबाइल पर ही वाद की सुनवाई की तारीख व वाद की स्थिति के बारे में जानकारी कर सकता है। विभाग के लिए कुछ करने का सिलसिला यहीं नहीं थमा। इसके बाद उन्होंने ऑनलाइन ड्यूटी लगाने के लिए एक ऐप तैयार किया। पुलिसकर्मियों की प्रतिदिन की ड्यूटी, वीआइपी ड्यूटी व जुलूस के लिए ड्यूटी के लिए डायनेमिक ड्यूटी मैनेजमेंट सिस्टम(डीडीएमएस) एप तैयार किया। इसमें कर्मचारी का नाम, पीएनओ, मोबाइल नंबर, ड्यूटी का स्थान अक्षांश व देशांतर के अनुसार कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाया जाता है। इस एप को बनाने के बाद वह अपनों के बीच में छा गए। अधिकारियों को भा गए। उधर पुलिस कमिश्नर जे रविन्द्र गौड़ ने उन्हें ट्रांसफर का डाटा एकत्रित करने के लिए भी एप बनाने की जिम्मेदारी दी। उदाहरण के तौर पर कई बार अधिकारियों को स्टाफ गुमराह कर देता था कि साहब इस पुलिसकर्मी को नगर जोन में तीन साल हो गए हैं। इसका तबादला कर दीजिए। पुलिसकर्मी अपने ही साथियों से खुन्नस निकालते थे। बाद में पता चलता था उसे तो तीन महीने ही हुए हैं। पुलिस कमिश्नर के विश्वास को जीतने के लिए डीसीपी सोनम कुमार के द्वारा बनाए गए एप में सभी पुलिसकर्मियों का रिकॉर्ड है। किसको कितना समय कहां हो गया है। कब निलंबित हुआ। कब बेड एंट्री मिली कब छुट्टी गया। इस एप का पूर्व पुलिस अपर आयुक्त केशव चौधरी ने काफी लाभ उठाया। इधर एप बनाने का सिलसिला यहीं नहीं रुका। इसके बाद डीसीपी ने एविडेंस कलेक्ट करने के लिए ऐप बना दिया। अब डीसीपी के द्वारा बैरियर एप बनाया गया है। सोमवार को इसी एप के माध्यम से चेकिंग कराई गई। इस एप में हर थाने के प्रभारी ने अपने यहां संवेदनशील चौराहा के पॉइंट डाले हैं। इन चौराहों पर पुलिस ने किसे रोका चेकिंग की या नहीं की। यह सभी जानकारी डीसीपी अपने फोन में देख सकते हैं। अभी तक कई बार थाना प्रभारी झूठ बोल देते थे हम चेकिंग कर रहे हैं और पुराने फोटो ग्रुप पर डाल देते थे। अब यह नहीं चल सकेगा। इसके साथ ही उन लोगों को भी लाभ मिलेगा जिन्हें कई बार गलती से फंसा दिया जाता है। वह पुलिस के रिकॉर्ड में उस समय दर्ज होंगे जिस समय उन पर आरोप लगाया जा रहा है।